गुना। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस सीटू के आव्हान पर 10 जुलाई को श्रमिक हित में राष्ट्रव्यापी मांग दिवस मनाया गया। श्रमिक संगठनों ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार श्रमिक विरोधी काले कानूनों को वापस लेने की बजाए उनका तेजी से क्रियान्वयन करने की तैयारी कर रही है। इसके विरोध में श्रमिक संगठनों से एकजुट होने का आव्हान किया गया और श्रमिक विरोधी कानूनों को वापस लेने के लिए ज्ञापन दिए गए।
सीटू के राष्ट्रव्यापी आव्हान पर गुना में भी श्रमिक संगठनों की अगुवाई में एक रैली निकाली गई। इसके बाद श्रमिक नेता कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया। श्रमिक नेता जब कलेक्ट्रेट पहुंचे तो देखने में आया कि ज्ञापन देने लेने आए अधिकारी ज्ञापन का वाचन होने तक गर्मी और उमस से बचने के लिए अपने रूमाल से हवा करते रहे। वहीं श्रमिकों को भी गर्मी और उमस से परेशानी का सामना करना पड़ा। बता दें कि श्रमिक संगठनों द्वारा दिए गए ज्ञापन में मोदी सरकार पर काले कानूनों को लागू कराने के लिए देशभर के मुख्य सचिव को बुलाकर 100 दिवसीय टास्क देने का आरोप लगाया गया है। सीटू ने हाल ही में बनाई गई श्रम संहिता को मजदूरी विरोधी बताया है और इन्हें तुरंत वापस लेने की मांग की गई है। सीटू के मुताबिक मजदूर वर्ग जल्द ही इन कानूनों को वापस लेने के लिए बड़ा आंदोलन छेड़ेगा। इसका असर देशभर में देखने को मिलेगा। आवश्यकता पड़ी तो मजदूर भूख हड़ताल भी करेंगे। बुधवार को मनाए गए देशव्यापी मांग दिवस के दौरान सीटू के साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संगठन ने भी न्यूनतम वेतनमान 26 हजार रुपए तय करने और अनावश्यक रूप से थोपे गए नियमों का वापस लेने के लिए ज्ञापन दिया है।