गुना जिले में 45 सरकारी और 18 निजी गौशाला, फिर भी सड़कों पर भटक रहे मवेशी


गुना। जिले में 60 से ज्यादा सरकारी और निजी गौशालाएं संचालित होने के बावजूद हजारों मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं। जिन गौशालाओं का पंजीयन है, उनकी वास्तविक स्थिति को अब लगातार परखा जाएगा और निगरानी की जाएगी। खासकर गायों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर अब स्थिति बदलने का प्रयास किया जाएगा।
यह जानकारी बुधवार को कलेक्ट्रेट में हुई गौशाला समन्वय समिति एवं जिला गौ संवर्धन समिति की बैठक में सामने आई है। कलेक्टर डॉ. सतेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई इस खास बैठक में जिले जनप्रतिनिधियों, राजनेताओं, समाजसेवियों और गणमान्य नागरिकों ने विस्तार से चर्चा की। सबसे पहले बैठक में गत बैठक के पालन प्रतिवेदन पर चर्चा सहित निर्धारित एजेण्डा अनुसार चर्चा की गई, जिनमें जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अन्य राजमार्ग में विचरण कर रहे निराश्रित गौवंश के विस्थापन, जिले की शासकीय एवं निजी पंजीकृत गौशालाओं में उपलब्ध गौ-वंश की संख्या को गौ-संवर्धन बोर्ड भोपाल भेजे जाने के लिए अनुमोदन, ग्राम पंचायत बेरखेड़ी जनपद पंचायत बमोरी एवं ग्राम पंचायत बारोद जनपद पंचायत आरोन में गौशाला संचालन के लिए किए गए समूह परिवर्तन की कार्योत्तर स्वीकृति, जिले की शासकीय गौशालाओं में चारागाह विकास की भूमि आवंटन, अधूरी गौशालाओं का निर्माण शीघ्र पूर्ण कराना, समस्त गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौशालाओं मे गोकास्ट, गोनाइल, बर्मी कम्पोस्ट आदि के उत्पादन सहित प्राकृतिक खेती पर चर्चा की गई। जिले में कुल 45 शासकीय गौशालाएं एवं 18 निजी पंजीकृत गौशालाएं हैं, जिनमें शासकीय गौशालाओं में उपलब्ध 3138 गौवंश ंएवं निजी पंजीकृत गौशालाओं में उपलब्ध 2613 गौवंश की संख्या गौ संवर्धन बोर्ड भोपाल के पोर्टल पर दर्ज की जाएगी।  बैठक के दौरान गौशालाओं द्वारा उत्पादित उत्पाद की बिक्री के संबंध में जिला स्तर पर होने वाली समय सीमा बैठक एवं जनपद स्तर पर होने वाली समीक्षा बैठक आदि में उपस्थित रहने के लिए गौशाला संचालक को सुझाव दिया गया। जिला एवं तहसील स्तर पर प्राकृतिक उत्पाद की बिक्री के लिए दुकान चिन्हित करने के लिए उप संचालक पशु चिकित्सालय को निर्देशित किया गया। समिति के सदस्य द्वारा सुझाव दिया गया कि गौशालाओं के गेट पर नोटिस बोर्ड लगवाया जाए, जिस पर गौवंश की संख्या, संचालनकर्ता की जानकारी आदि की विस्तृत जानकारी अंकित हो। गौशालाओं की चारागाह भूमि को विकसित करने एवं उसे अतिक्रमण से मुक्त करने के संबंध में सुझाव प्राप्त हुआ, जिस पर कलेक्टर द्वारा बताया गया कि विगत जनपद स्तरीय बैठकों के दौरान जिन गौशालाओं में अतिक्रमण का मामला संज्ञान में आया था, उनका अतिक्रमण हटा दिया गया है। इसी प्रकार गौशाला समन्वय समिति की बैठक में विकासखण्ड स्तर पर बैठक का सुझाव प्राप्त हुआ। इस संबंध में विकासखण्ड के अधिकारियों को एसडीएम से संपर्क करने के निर्देश दिए गए।